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एक जैसी दिखने वाली कुंदन और पोल्की जूलरी में है बड़ा अंतर, ऐसे पहचानें
Update: Tuesday, October 8, 2019 @ 9:00 PM
किसी भी ड्रेस को अगर जूलरी से कंप्लीट किया जाए तो ड्रेस की शोभा तो बढ़ती ही है साथ ही खूबसूरती में भी चार चांद लग जाते हैं। जूलरी पहनने से पर्सनेलिटी भी हैवी लगती है और लाइटवेट व बोरिंग ड्रेस में जान भी आ जाती है। आपको पता ही होगा कि चाहे मेकअप हो या जूलरी, आजकल हर जगह सिंपल लेकिन क्लासी ट्रेंड छा रहे हैं। अगर जूलरी की बात करें तो आजकल कुंदन और पोल्की जैसी सिंपल जूलरियां ट्रेंड में हैं। ये जूलरी दिखने में जितनी सिंपल होती हैं, पहनने के बाद उतना ही क्लासी और एलीगेंट लुक देती हैं। अगर आप जूलरी फैशन के बारे में ज्यादा नहीं जानती हैं तो आप आंख बंद कर कुंदन और पोल्की जैसी जूलरी चुन सकती हैं। ये कभी भी आपको आउट ऑफ फैशन नहीं दिखाएंगी। कुछ महिलाओं को लगता है कि ये दोनों एक ही जूलरी होती हैं केवल नाम ही अलग होते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। कुंदन और पोल्की जूलरी में काफी फर्क होता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको इन दोनों में फर्क बताने के साथ ही इनकी खूबियों के बारे में भी बताएंगे।
क्या होती है पोल्की जूलरी
पोल्की आभूषण को सोने की पन्नी के साथ बनाया जाता है। कुछ लोग पोल्की जूलरी को डायमंड जूलरी भी कहते हैं, क्योंकि इसकी कारीगरी ठीक उसी तरह से होती है। इस जूलरी को गोल्ड जूलरी में अनकट डायमंड्स लगाकर बनाया जाता है। जब पोल्की जूलरी को बनाया जाता है तो इसमें गोल्ड फॉइल और लाक दोनों का इस्तेमाल होता है। भले ही यह दिखने में थोड़ा रस्टिक लुक देती है, लेकिन फिर भी इसमें रॉयल टच आता है। शुद्ध सोने के फॉइल पर रखे हीरे रोशनी के संपर्क में आते ही चमकने लगते हैं। इसके बाद इन्हें गोल्ड जूलरी में मोती और अन्य कीमती पत्थरों के साथ सेट किया जाता है। पोल्की जूलरी काफी महंगी आती है। क्योंकि इसमें डायमंड्स का सबसे शुद्ध रूप शामिल होता है। कभी कभी पोल्की के साथ कुंदन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
क्या होती है कुंदन जूलरी
कुंदन जूलरी को सावधानीपूर्वक आकार में तैयार किए गए, बिना हीरे और पॉलिश किए हुए बहुरंगी रत्नों को एक उत्कृष्ट रूप से डिजाइन किए शुद्ध सोने या अशुद्ध धातु के आधार में स्थापित कर कुंदन जूलरी को बनाया गया है। कुंदन जूलरी का बेस बनाने के लिए गोल्ड को स्ट्रिप्स में काटकर मनपसदं आकार दिया जाता है। ग्लास स्टोन्स- एमरल्ड, रूबी, सफायर वगैरह को बेस पर सटे किया जाता है और कुंदन तैयार होता है। कुंदन की जूलरी में सोने का इस्तेमाल ज्यादा नहीं होता है। बल्कि इसकी कीमत महंगी मोतियों और अन्य मैटल के कारण बढ़ती है। यह एक पूरी तरह से देसी कला है जो केवल भारत में प्रचलित है।